A poem from my diary.. hope you will like it ...!!
होली बिती , बिती दिवाली
ईद भी हमने यार मनाली
वो मौसम कब आएगा
जब हम तुम दोनो यार मिलेंगे
अभी तो अच्छी बीत रही है
अपनी दिन और ये रातें
चाहे मौसम हो कोई भी
सर्दी , गर्मी या बरसातें
पर जीवन रूपी इस झरने में
छाया है सूखा बरसों से
वो बाहार कब आएगी
जब हम तुम दोनो यार मिलेंगे
अब एक है अपनी दुख सुख सारी
एक है पहचान हमारी
एक है अपने धड़कन और साँसें
एक ही अब आँसू और आहें
मंज़िल एक फिर जुदा क्यों राहें
वो मौसम कब आएगी
जब हम तुम दोनो साथ चालेंगे
एक सरीखे अपने सपने
इस सच से मत फेर निगाहें
अजनबियों सा मत रह कटकर
आ करले मुझसे भी दो बातें
वो मौसम कब आएगी
जब पत्थर दिल ये पिघलेंगे!!
2 comments:
bahut juld (very soon)
bahut juld wo mausam aayega.
wo bahaar aayegi..
Jab tum dono yaar miloge ...
Jabpat thar dil pighlenge...
bahut juld wo mausam aayega
wo bahar aayegi..
Adaab arj hai ;)
Post a Comment